A Secret Weapon For Shodashi
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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
Shodashi is deeply linked to the path of Tantra, wherever she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she's celebrated as being the embodiment of Sri Vidya, the sacred knowledge that contributes to enlightenment.
केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥
The Mantra, Conversely, is usually a sonic illustration of your Goddess, encapsulating her essence via sacred syllables. Reciting her Mantra is considered to invoke her divine existence and bestow blessings.
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
Her story consists of legendary battles versus evil forces, emphasizing the triumph of good in excess of evil and the spiritual journey from ignorance to enlightenment.
कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं
Goddess also has the title of Adi Mahavidya, more info which means the whole Model of actuality. In Vedic mantras, she is described as the Goddess who sparkles with the beautiful and pure rays from the Sunshine.
The philosophical Proportions of Tripura Sundari prolong beyond her Bodily attributes. She represents the transformative power of magnificence, that may guide the devotee from your darkness of ignorance to the light of knowledge and enlightenment.
The intricate relationship concerning these groups and their respective roles within the cosmic purchase can be a testament towards the loaded tapestry of Hindu mythology.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।